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जान्कोलाना कि कुछ यादें
Posted by Saurav Arya
on
9:00 PM
यादों को अगर संजोया न जाए तो वे मिट जातें है!
आजकल कि भागदौड भरी जिदंगी मे; हम, आप और सबसे तेज,ये वक्त दौडता है...वक्त कि रफ़्तार सुनहरे यादों को धुंधली कर देता है...ऐसी हि कुछं धुंधली यादों पर से धुल झाडने कि, उसे चमकाने कि एक कोशिश...
जान्कोलाना पहुचने के बाद, ट्राली से हमलोग Skiing Zone गए...
आजकल कि भागदौड भरी जिदंगी मे; हम, आप और सबसे तेज,ये वक्त दौडता है...वक्त कि रफ़्तार सुनहरे यादों को धुंधली कर देता है...ऐसी हि कुछं धुंधली यादों पर से धुल झाडने कि, उसे चमकाने कि एक कोशिश...
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स्नो कि परत ह्ल्की थी..कभी कभी घुठनो तक धस जाते थे..
Kshitij से सूरज कि किरने आ रही थी..
उछ्ल कुद और मस्ती के बाद याद आया कि जल्दी रवाना होना पडेगा नही तो बस छुट जाएगी.
बस stand पहुचकर जब हम बस का इंतजार कर रहे थे तो ठंढ से कांप रहे थे..शाम हो गई थी.
उछ्ल कुद और मस्ती के बाद याद आया कि जल्दी रवाना होना पडेगा नही तो बस छुट जाएगी.
बस stand पहुचकर जब हम बस का इंतजार कर रहे थे तो ठंढ से कांप रहे थे..शाम हो गई थी.
ठंढ भगाने के लिए हमे दौडे.. फ़ुटबाल खेले और Hot गपशप मारे.. १ घंटे बाद बस आ गई और हम उदीने के लिए रवाना हुए..
इंडिया हो या यूरोप, ये universal truth है कि : बस कभी time पे नही आती.
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